
जिला प्रतिनिधी (यश कायरकर ):
चंद्रपुर जिले में बाघ के हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। जनवरी 2025 से अब तक कुल 21 लोग बाघों का शिकार बन चुके हैं, जिनमें अधिकतर महिलाएं शामिल हैं।
सिर्फ एक हफ्ते में आठ घटनाएं
बीते एक सप्ताह में बाघ के हमले की यह आठवीं घटना है।
आज की ताज़ा घटना मूल वन परिक्षेत्र के भादुर्णी गांव की है, जहां रुषी पेंदाम नामक व्यक्ति की बाघ के हमले में मौत हो गई। इसके अलावा वाढोणा निवासी मारोती नकटू शेंडे (उम्र 64) अपनी पत्नी के साथ तेंदूपत्ता तोड़ने आलेवाही बीट के कंपार्टमेंट नंबर 657 में गया था। पत्ते तोड़ने के बाद वह झाड़ियों में बैठकर बंडल बनाने हेतु रस्सी तैयार कर रहा था, तभी समीप के तालाब से पानी पीकर गुजर रहे बाघ ने उस पर अचानक हमला कर दिया।
घटना की सूचना मिलते ही वन परिक्षेत्र अधिकारी अरूप कन्नामवार के मार्गदर्शन में क्षेत्र सहायक अरविंद मने, वनरक्षक पंडित मेकेवाड तथा अन्य कर्मी घटनास्थल पर पहुंचे और गंभीर रूप से घायल वृद्ध को वाढोणा के ग्रामीण अस्पताल पहुंचाया। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें सिंदेवाही रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
वन विभाग द्वारा पीड़ित परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की गई। साथ ही घटनास्थल पर निगरानी के लिए एक लाइव कैमरा और अतिरिक्त तीन कैमरे लगाए गए हैं। सहायक वन संरक्षक महेश गायकवाड, बायोलॉजिस्ट राकेश आहूजा, और वनपरिक्षेत्र अधिकारी कन्नामवार ने घटनास्थल का दौरा कर जायजा लिया। विभाग द्वारा स्थानीय लोगों को सावधानी बरतने और जंगल में अनावश्यक रूप से न जाने की हिदायत दी गई है।
पहले की घटनाएं
10 मई: सिंदेवाही तहसील के मेढा माल गांव में बाघ ने एक साथ तीन लोगों पर हमला किया:
कांताजी बुधाजी चौधरी (65)
शुभांगी मनोज चौधरी (30)
रेखा शालिक शेंडे (50)
तीनों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई।
11 मई: मूल तहसील के नागाला गांव में विमल बुद्धाजी शेंडे (65) बाघ का शिकार बनीं।
12 मई: भादुर्णी निवासी भूमेश्वरी दीपक भेंड़ारे की भी बाघ के हमले में मौत हुई।
14 मई: पलसगांव वन परिक्षेत्र में अरुण भरडे (54) नामक महिला की जान गई।
तेंदूपत्ता संकलन बना जानलेवा
इस समय जिले में तेंदूपत्ता संकलन का सीजन चल रहा है, जिससे सैकड़ों ग्रामीण रोज जंगलों की ओर जाते हैं।
यह सीजन आमतौर पर ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं, के लिए रोजगार का बड़ा साधन होता है।
लेकिन इस बार यह मौत का कारण बनता जा रहा है।
वन विभाग की चेतावनियों की अनदेखी
मेढा माल में तीन महिलाओं की मौत के तुरंत बाद वन विभाग ने उस क्षेत्र में तेंदूपत्ता संकलन पर रोक लगा दी थी।
इसके बावजूद, कुछ लोग छुपकर उसी इलाके में प्रवेश कर रहे हैं, और विभाग की टीम उन्हें बार-बार बाहर निकाल रही है।
यह स्थिति दर्शाती है कि कुछ लोगों के लिए तेंदूपत्ता संकलन, जान से भी अधिक जरूरी हो गया है – जबकि रोजगार के अन्य साधन भी उपलब्ध हैं।
वन विभाग की अपील
वन विभाग का कहना है कि बढ़ती घटनाओं के पीछे इंसानों की जंगलों में अनुचित आवाजाही, चेतावनियों की अनदेखी जैसे कारण शामिल हैं।
वन विभाग ने आमजन से अपील की है कि वे सतर्क रहें, जंगलों में जाने से पहले उचित जानकारी लें, और विभाग के निर्देशों का पालन करें।
अगर ग्रामीणों और पर्यटकों ने वन विभाग की चेतावनियों को गंभीरता से न लिया, तो यह मानव-वन्यजीव संघर्ष और भी गंभीर रूप ले सकता है।
