जिल्हा प्रतिनिधी (यश कायरकर) : नागभीड तालुका के तलोधी वन परिक्षेत्र के सारंगढ़ के जंगल में स्थित पेरजागढ़ (सात बहिनी) पर्वत अत्यंत निसर्ग रम्य परिसर हैं। जंगल परिसर में होने से नैसर्गिक सुंदरता से सजे हुए पेरजागढ पहाड़ी के ऊपर शंकर जी का मंदिर है और पहाड़ी के बीचो बीच में सात बहनों की मूर्तियां है. जिसके बारे में कई कहानियां हैं. यहां हर साल महाशिवरात्रि के पर्व पर 2दिन का मेला लगा रहता है. यहां हजारों पर्यटक दूर-दूर से आते हैं।
यह संपूर्ण परिसर वन व्याप्त है तालोधी बालापुर वन परीक्षेत्र अंतर्गत आने वाला यह पेरजागड (सात बहिनी) पहाड़ ताडोबा अभयारण्य से महज 22 किमी दूरी पर है और नव घोषित घोड़ाझरी अभयारण्य एकदम सटा हुआ है । इस परिसर में बड़ी मात्रा में वाइल्ड लाइफ है यहां जंगली पशुओं का विचरण बड़ी मात्रा में होता है. जिसमें बाघ , तेंदुआ ,भालू, भेडीए, जंगली कुत्ते, जैसे बड़े जानवर हमेशा विचरण करते रहते हैं. और इस पत्थर की पहाड़ी पर बड़े-बड़े मधुमक्खियों के सैकड़ों छाते लटके हैं।
फिर भी बड़ी मात्रा में सैलानी लोग , कुछ श्रद्धालु और ज्यादातर प्रेमी-युगल युवक-युवतीया हर रोज यहां आते रहते हैं । जंगली जानवरों के हमले से बेखबर अपनी जान जोखिम में डालकर हमेशा युवक-युवती या यहां दुचाकी और सैकड़ों कारों से रंगरलिया मनाने के लिए जंगल में आते रहते हैं । और हर इतवार को मानो हजारों लोगों का यहां मेला सा लगा रहता है । और साथ में लाई हुई प्लास्टिक, पानी की बोतल, खाना खाने के बाद प्लास्टिक और थर्माकोल की पत्रावली, बच्चों के डायपर को इस परिसर में फेंक दिया जाता है। जिस वजह से इस जंगल परिसर में प्लास्टिक प्रदूषण फैलता है।
इस पहाड़ पर स्थित मधुमक्खियों द्वारा यहां आने वाले सैलानियों पर साल भर में आठ – दस बार हमले किए जाते हैं , जिसमें यहां मधुमक्खियों के हमले में इंसान मरने की भी घटनाएं हुई है. यहां पर 2013-14 में एक घटना में 10 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे और मधुमक्खियों के हमले में पहाड़ से नीचे गिर कर एक पर्यटक मारा गया था । और आज भी अक्सर इन मधुमक्खियों के हमले में लोग घायल होते रहते हैं. कुछ दिन पूर्व ही यहां आए उमरेड और नागपुर के मेडिकल स्टूडेंट्स को मधुमक्खियों के हमले में घायल बेहोशी के हालत में रेस्क्यू किया गया था. और अभी फिर से शनिवार 8 अप्रैल 2023 को 2 दो लोगों को मधुमक्खियों के हमले में अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और 5 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।
वन विभाग द्वारा बार-बार यहां पर्यटन के लिए मना करने के बावजूद कुछ पैसे की लालच में नागपुर के टूर एंड ट्रेवल्स के टूरिस्टो को कुछ आश्वासन देकर उनकी जान जोखिम में डालकर पैसे की लालच में यहां लाते हैं। नागपुर की ही एक टूरिस्ट कंपनी द्वारा यहां नाइट कैंप लगाया गया था और सुबह के सूर्योदय दर्शन की लालच और नाईट कैंप, नाइट में डांस , और रात में ही पर्वत ट्रैकिंग का आयोजन गया था। और एक बार उन्होंने ट्रैकिंग भी की थी जबकि यहां बाघ, तेंदुआ, भालू, मधुमक्खियां ,जैसे खतरनाक जानलेवा जानवर रात दिन घूमते रहते हैं। लेकिन इस और ध्यान आकर्षित करने के बाद वन विभाग ने उस टूर कंपनी की ट्रेकिंग की अभिलाषा बंद कर दी थी।
जो यहां आने वाले सैलानियों से पैसा वसूल करते हैं। और जंगल और पर्यटकों की सुरक्षा नजरअंदाज कर देते है।
लेकिन इस परिसर में आने वाले सैलानी पर्यटक हमेशा गंदगी फैलाते हैं , समिति सिर्फ सैलानियों से पैसा लेकर इस और नजरअंदाज कर रही हैं। जिससे यहां विचरण करने वाले वन्यजीवों के लिए प्लास्टिक प्रदूषण का खतरा मौजूद हो गया है । पैसा तो सभी सैलानियों से वसूल कर रही है लेकिन ऐसी कोई वारदात होती है तो कोई भी समिति का आदमी वहां मौजूद नहीं होता, और बाद में लोग वन विभाग को दोष देने लगते हैं।
अब लोगो की जान पर भी बन रही है। पर्वत के शिखर पर मधुमक्खियों के छत्ते होते हुए भी वहां कुछ लोग गैस सिलेंडर ले जाकर जलाते हैं और नाश्ते के हाटेल लगाते थे। जिस वजह से इस पर्वत पर आग लगने की घटना हो जाती है। और वहां की मधुमक्खियां छाते से उड़कर इस तरह के दर्दनाक हादसे हो जाते हैं।
और इस तरह के इस खतरनाक और जंगली जानवरों से व्याप्त इस परिसर को वन विभाग द्वारा धोकादायक घोषित किया गया है . और किसी बड़ी अनहोनी के चलते और वन विभाग द्वारा यहां जाने पर रोक लगाई गई है।
“पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ वनविभाग ने पर्यटकों की जान बचाने के उद्देश्य से यहां पर्यटन बंद कर दिया है, यह सराहनीय है और यह हमेशा के लिए रहना चाहिए ” – यश कायरकर, अध्यक्ष ‘स्वाब’नेचर केयर संस्था, पर्यावरण प्रेमी
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