जिल्हा प्रतिनिधी (यश कायरकर):
जिस तरह हमारे इंसान के बच्चे अपने उज्वल भविष्य के लिए पढ़ाई और नौकरी के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य, एक देश से दूसरे देश चले जाते हैं। इस तरह बाघ भी अपने नए जीवन की तलाश में भटकते हुए नये इलाके में चले जाते हैं। ऐसे ही..ब्रह्मपुरी वन विभाग ब्रह्मपुरी का एक नौजवान बाघ चार राज्यों की हदों को पार करते हुए अपने नये अधिवास की तलाश में करीबन 2000 किलो मीटर का प्रवास कर ओड़िशा राज्य में स्थापित होने की जानकारी है।
ओड़िशा में जहां 2022 की जारी की गई सुची के आधार पर ओड़िशा में 20 बाघ होने की जानकारी है। और आज इस बाघ ने भी उस इलाके में खुद का एक इलाका बना कर वह स्थापित हो चुका है। इसके बारे में जानकारी मिलने पर और यह पहली बार है कि ओड़िशा में आने वाले किसी बाघ ने इतनी लंबी यात्रा की है इस मामले में, ओडिशा के गजपति जिले में पारलेखामुंडी वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी (DFO) आनंद एस ने बाघ की पहचान करने के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून से संपर्क किया। जिससे यह बाघ महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के ताडोबा व्याघ्र प्रकल्प से सटे , ब्रह्मपुरी वन विभाग ब्रह्मपुरी का होने की जानकारी उनके कैमरा ट्रैप के पुराने फोटो से मिलने पर हासिल हुई। जिसने महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, और ओड़िशा इन चार राज्यों की सीमाओं को लांघ कर बिना किसी के नजर में आए हुए नदी, नाले, जंगल, महामार्ग, गांव , शहर, खेतों से होते हुए करीबन 2000 किलो मीटर का अपना सफर किसी भी संघर्ष के बिना खामोशी से पर किया।
(सिंदेवाही मे पहली तस्वीर 15 /07/2021)
इसके बारे में अधिक जानकारी ब्रह्मपुरी वन विभाग ब्रह्मपुरी में बायोलॉजिस्ट की तौर पर कार्यरत ‘राकेश आहूजा’ से बातचीत कर हासिल करने पर पता चला है कि, “यह बाघ पहली बार ब्रम्हपुरी वन विभाग ब्रह्मपुरी के, सिंदेवाही वन परिक्षेत्र के सावरगाटा क्षेत्र में 15 जुलाई 2021 को कैमरा फोटो में देखा गया था । और तब यह करिबन 2 साल उम्र का शावक इसी परिसर का ही है, जिसकी आय डी 123 हैं और कल जब इस अंजाने बाघ को ओड़िशा में कैमरा ट्रैप के फोटो में आने के बाद में उसके पैटर्न से जानकारी हासिल की गई तब यह ब्रह्मपुरी वन विभाग ब्रह्मपुरी के सिंदेवाही वन परिक्षेत्र का होने की पुष्टि हो गई।”
अक्सर बाघ के शावक अपने दो – से ढाई साल की उम्र में अपना इलाका छोड़ नया इलाका प्रस्तावित करने की इरादे से स्थानांतरित होते रहते हैं, जो बाघों की स्वाभाविकता है। मगर कोई कोई बाघ अक्सर काफी लंबी दूरी भी तय कर लेते हैं। इसके पहले भी कुछ साल पूर्व यह वॉकर नाम के बाघ ने भी 3000 कि.मी. का सफर पर किया था। जिसे रेडियो कॉलर भी लगाया गया था जिससे उसके मूवमेंट पर नजर रखी जा रही थी। जो आज तक की किसी भी बाघ की बाघिन की तलाश में की गई पहली सबसे बड़ी यात्रा है।
इस बाघ के ओड़िशा के नए आशियाने के लिए स्थानिक वन्यजीव प्रेमी ‘स्वाब संस्था’ द्वारा शुभेच्छा दी गई।