
मोहम्मद सुलेमान बेग : रशिया के सेंट पीटर्सबर्ग में 2010 में आयोजित एक बाघ सम्मेलन में विश्व बाघ दिवस घोषित किया गया था। इस सम्मेलन में विभिन्न देशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। इस बीच सम्मेलन में 2022 तक दुनिया भर में बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया था। तब से हर साल 29 जुलाई को दुनिया भर में विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है। यह बाघ संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आयोजित एक वार्षिक उत्सव है।
Photographer Kola Venkateshwarlu
बाघ पाए जाने वाले 13 देशों में भारत का पहला स्थान है।
भारत को सबसे अधिक बाघों वाला देश माना जाता है। दुनिया के सभी बाघों की संख्या में अकेले भारत में 80% बाघ हैं। जिसमे बाघों की संख्या 2,967 है। बाघ संरक्षण की दिशा में यह हमारे लिए बहुत बड़ी सफलता है। और इससे यह भी प्रतीक होता है कि भारत में सबसे अच्छी जैव विविधता है। देश में पहली बार 1973 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा बाघ अभयारण्य की अवधारणा पेश की गई थी। इसमें देश में पहले 9 बाघ अभयारण्य घोषित किए गए। जो बंदीपूर (कर्नाटक), कॉर्बेट (उत्तराखंड), कान्हा (मध्येप्रदेश), मानस (आसाम), मेलघाट (महाराष्ट्र), पलामू (झारखंड), रणथंबोर (राजस्थान), सिंपल (ओरिसा), सुंदरबन (पश्चिम बंगाल) में है ।अब बाघ अभयारण्यों की संख्या बढ़कर 50 हो गई है।
साल बाघो की संख्य
2006 1411
2010 1700
2014 2226
2018 2967
बाघ होने से ये रिकॉर्ड दुनिया में सबसे ज्यादा हो गया है । दुनिया के जंगलों की शान है बाघ इसे बचना हमारा काम है जंगल बचाव, बाघ बचाव ।
