
वनरक्षक सहित 5 लोग घायल, धूमनखेड़ा गांव में तेंदुए का आतंक
जिला प्रतिनिधी (यश कायरकर):
सिंदेवाही वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नवरगांव बीट के धूमनखेड़ा गांव में तेंदुआ खेत में काम कर रही एक महिला पर हमला करने के बाद गांव में घुस गया। इसके बाद तेंदुआ एक पुराने और बंद गोशाला में जाकर छिप गया।
भीड़ की छेड़खानी से बिगड़े हालात
घटना की सूचना मिलते ही तेंदुए को देखने के लिए गांव और आसपास के इलाकों से हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। उत्सुक भीड़ ने तेंदुए के करीब जाकर छेड़खानी शुरू कर दी, जिससे बौखलाए तेंदुए ने हमला कर दिया। इस हमले में जयश्री शेंडे (40), सुषमा बंसोड़ (35), चंद्रभान बंसोड़ (55), देवानंद बंसोड़ (40) और वन रक्षक नितेश सहारे (28) घायल हो गए।
वन विभाग का रेस्क्यू ऑपरेशन
घटना की जानकारी मिलते ही घायलों को तुरंत सिंदेवाही अस्पताल भेज दिया गया। इसके बाद वन विभाग की रेस्क्यू टीम को बुलाया गया। वन विभाग के पशुधन विकास अधिकारी डॉ. रविकांत खोब्रागड़े, शूटर अजय मराठे, बायोलॉजिस्ट राकेश आहूजा और उनकी टीम मौके पर पहुंची।
वन विभाग की टीम ने तेंदुए को पकड़ने के लिए रणनीति बनाई, लेकिन भीड़ के शोरगुल के कारण तेंदुआ और अधिक आक्रामक हो गया। इसके बावजूद, टीम ने शाम 7:30 बजे तेंदुए को बेहोश कर सफलतापूर्वक पकड़ लिया। यह तेंदुआ 5 से 6 साल का नर तेंदुआ था।
तेंदुए के गांव में आने की वजह
संभावना जताई जा रही है कि तेंदुआ किसी पालतू पशु या कुत्ते का पीछा करते हुए गांव में आ गया था। शोरगुल के कारण वह एक पुराने गोशाला में घुस गया, जहां से उसे वन विभाग की टीम ने सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया।
सफल रेस्क्यू ऑपरेशन में इनका योगदान
इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन में कई अधिकारी और संस्थाएं शामिल थीं:
वन विभाग: सहायक वन संरक्षक एम.बी. चोपडे, सिंदेवाही वन परिक्षेत्र अधिकारी विशाल सालकर, तलोधी वन परिक्षेत्र अधिकारी अरुप कन्नमवार।
रेस्क्यू दल: स्वाब संस्था के बचाव दल प्रमुख जीवेश सयाम, यश कायरकर, नितिन भेंडाले, भोलेनाथ सुरपाम, एवं सिंदेवाही और तलोधी के सभी वन कर्मचारी।
पुलिस प्रशासन: भीड़ को नियंत्रित करने और रेस्क्यू में सहायता के लिए शिंदेवाही के थानेदार राठौर, नागभीड़ के ए.पी.आई. पोटभरे, तलोधी पुलिस, स्वाब संस्था ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
गांव में लौटे शांति के पल
तेंदुए को पकड़ने के बाद गांववालों ने राहत की सांस ली। वन विभाग की इस त्वरित कार्रवाई से किसी बड़ी दुर्घटना को टाला जा सका।
यह घटना मानव-वन्यजीव संघर्ष का एक और उदाहरण है, जहां जंगलों में भोजन और आश्रय की कमी के कारण तेंदुए जैसे वन्यजीव गांवों की ओर रुख कर रहे हैं। वन विभाग की सतर्कता और टीमवर्क से यह रेस्क्यू सफल रहा।
