भारत के दो प्रमुख टाइगर रिजर्व संकट में: पलामू में सुधार के संकेत, डम्पा अब भी गंभीर स्थिति में

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नई दिल्ली :  भारत के दो प्रमुख टाइगर रिजर्व, पलामू टाइगर रिजर्व (PTR) और डम्पा टाइगर रिजर्व, पिछले कुछ वर्षों से बाघों की घटती संख्या को लेकर चर्चा में हैं। हालांकि, पलामू टाइगर रिजर्व में हाल ही में सुधार के संकेत मिले हैं, जबकि डम्पा टाइगर रिजर्व अब भी गंभीर स्थिति में है।

पलामू टाइगर रिजर्व (PTR): धीरे-धीरे लौट रही बाघों की आबादी

झारखंड के लातेहार जिले में स्थित पलामू टाइगर रिजर्व, भारत के पहले नौ टाइगर रिजर्व में शामिल है, जिसे 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के तहत स्थापित किया गया था। हालांकि, 2018 की अखिल भारतीय बाघ गणना में यहां बाघों की संख्या शून्य दर्ज की गई थी, जिससे वन्यजीव संरक्षण से जुड़े विशेषज्ञों में चिंता बढ़ गई थी।
लेकिन हाल की रिपोर्टों के अनुसार, इस रिजर्व में बाघों की संख्या में सुधार के संकेत मिले हैं। मार्च 2023 में एक बाघ का मूवमेंट रिकॉर्ड किया गया था, और अब तक छह बाघों और एक बाघिन की गतिविधियां दर्ज की गई हैं। यह आंकड़ा इस बात को दर्शाता है कि उचित संरक्षण प्रयासों से वन्यजीव संरक्षण में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।

डम्पा टाइगर रिजर्व: बाघों की स्थिति अब भी चिंताजनक

मिजोरम में स्थित डम्पा टाइगर रिजर्व को 1994 में टाइगर रिजर्व का दर्जा प्राप्त हुआ था। यहां का घना जंगल और जैव विविधता इसे भारत के महत्वपूर्ण वन्यजीव अभयारण्यों में शामिल करता है। लेकिन 2018 की अखिल भारतीय बाघ गणना के अनुसार, यहां बाघों की कोई मौजूदगी नहीं पाई गई।

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि अवैध शिकार, जंगलों की कटाई और मानवीय अतिक्रमण इस रिजर्व में बाघों की गिरती संख्या के प्रमुख कारण हो सकते हैं। हालांकि, यह रिजर्व अन्य वन्यजीवों जैसे हाथी, तेंदुए और कई दुर्लभ पक्षियों के लिए अभी भी महत्वपूर्ण आवास बना हुआ है।

बाघों की संख्या घटने के प्रमुख कारण

दोनों टाइगर रिजर्व में बाघों की घटती संख्या के पीछे कई प्रमुख कारण माने जा रहे हैं:

अवैध शिकार – बाघों के अंगों की अवैध तस्करी एक बड़ी समस्या बनी हुई है।
वनों की कटाई – जंगलों के अंधाधुंध कटाव से बाघों का प्राकृतिक आवास सिकुड़ रहा है।
मानवीय अतिक्रमण – जंगलों के किनारे बसे गांवों के फैलाव से बाघों और इंसानों के बीच संघर्ष बढ़ रहा है।
पर्याप्त शिकार की कमी – हिरण, सांभर और अन्य शिकार की घटती संख्या भी बाघों के लिए संकट का कारण बन रही है।

संरक्षण के लिए उठाए गए कदम

सरकार और वन विभाग दोनों ही बाघों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाएं लागू कर रहे हैं। इनमें शामिल हैं:

  • सख्त गश्ती दल और आधुनिक निगरानी उपकरणों का उपयोग
  • स्थानीय समुदायों को संरक्षण कार्यक्रमों से जोड़ना
    मानवीय अतिक्रमण रोकने के लिए सख्त नियम
  • वन क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने और शिकार की संख्या बढ़ाने के उपाय

जहां एक ओर पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में सुधार की झलक दिखी है, वहीं डम्पा टाइगर रिजर्व में अब भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो बाघों की संख्या को फिर से बढ़ाया जा सकता है।

वन्यजीव प्रेमियों और संरक्षण कार्यकर्ताओं के लिए यह समय महत्वपूर्ण है कि वे इन रिजर्व की स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखें और बाघों के संरक्षण के लिए अपना योगदान दें।

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