सुप्रीम कोर्ट ने बाघों के शिकार पर CBI जांच की मांग वाली याचिका पर मांगा जवाब

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नई दिल्ली – देशभर में बाघों के लगातार हो रहे शिकार (Poaching) के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। अदालत ने सोमवार को एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और नेशनल टाइगर कंज़र्वेशन अथॉरिटी (NTCA) सहित संबंधित पक्षों से जवाब तलब किया है।

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिका पर विचार करते हुए केंद्र सरकार, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT), CBI और NTCA को नोटिस जारी किया। अदालत ने इन सभी पक्षों को नोटिस का जवाब निर्धारित समय सीमा में दाखिल करने का निर्देश दिया है।

याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि –

भारत विश्व के सबसे बड़े बाघों की आबादी वाला देश है, लेकिन शिकार की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है।

बाघों की मौतों की जांच राज्य स्तर पर प्रभावी ढंग से नहीं हो पाती, कई मामलों में शिकारियों के खिलाफ कार्रवाई अधूरी रह जाती है।

बाघों के शिकार की वजह से न केवल वन्यजीव संरक्षण कानून का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि “प्रोजेक्ट टाइगर” जैसी राष्ट्रीय योजनाओं की सफलता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

ऐसे मामलों में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए केवल CBI जैसी केंद्रीय एजेंसी ही उपयुक्त है।

गौरतलब है कि हाल के वर्षों में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, असम और उत्तराखंड जैसे राज्यों से बाघों के शिकार और तस्करी की कई घटनाएं सामने आई हैं। वर्ष 2024 और 2025 की शुरुआत में ही देशभर से बाघों की असामान्य मौतों की रिपोर्ट ने वन्यजीव संरक्षण से जुड़े विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की चिंताओं को गंभीर मानते हुए सभी संबंधित पक्षों से विस्तृत जवाब मांगा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई नियत तिथि पर होगी, जिसके बाद यह तय होगा कि CBI को औपचारिक रूप से जांच सौंपी जाएगी या नहीं।

 

 

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