सर्पमित्रों को पहचान पत्र के साथ 10 लाख का दुर्घटना बीमा!

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फ्रंटलाइन वर्कर’ का दर्जा देने के लिए राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले का पहल

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास राजस्व मंत्री करेंगे सिफारिश

मुंबई:
ग्रामीण क्षेत्रों में वन्यजीव और मानव के बीच संघर्ष को कम करने के लिए, विशेष रूप से सांपों से होने वाले खतरों से लोगों को बचाने का जो कार्य सर्पमित्र करते हैं, उसे देखते हुए अब उन्हें जल्द ही आधिकारिक पहचान पत्र और 10 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा प्रदान किया जाएगा। साथ ही, उन्हें ‘अत्यावश्यक सेवा’ और ‘फ्रंटलाइन वर्कर’ का दर्जा देने पर भी सकारात्मक विचार हो रहा है। इस बारे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास सिफारिश भेजी जाएगी, ऐसी जानकारी राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने दी। मंत्रालय में हुई एक बैठक में उन्होंने यह निर्देश दिए।
इस बैठक में वन विभाग के अपर मुख्य सचिव मिलिंद म्हैसकर, राज्य वन्यजीव संरक्षक एम. श्रीनिवास राव, तथा अखिल भारतीय सर्पमित्र व प्राणीमित्र संघटना के अध्यक्ष प्रा. संभाजीराव पाटील आदि उपस्थित थे।

राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जब भी कोई वन्यजीव विशेष रूप से साँपों से संकट होता है, तो सर्पमित्र तुरंत सहायता के लिए पहुंचते हैं। कई बार वे अपनी जान की परवाह किए बिना साँपों को पकड़कर सुरक्षित स्थानों पर छोड़ते हैं। उनके इस साहसी कार्य को ध्यान में रखते हुए लंबे समय से यह मांग की जा रही थी कि उन्हें दुर्घटना बीमा दिया जाए।
अब उन्हें आधिकारिक पहचान पत्र के साथ-साथ 10 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा देने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए एक विस्तृत मानक कार्यप्रणाली (SOP) तैयार की जाएगी। इससे सर्पमित्रों के कार्य को आधिकारिक मान्यता मिलेगी और उनकी जान की सुरक्षा को महत्व दिया जाएगा।
इसके अलावा, सर्पमित्रों के कार्य की महत्ता को देखते हुए उन्हें ‘अत्यावश्यक सेवा’ के रूप में घोषित करने और आपदा प्रबंधन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने की आवश्यकता व्यक्त की गई है। साथ ही, उन्हें ‘फ्रंटलाइन वर्कर’ (अग्रिम पंक्ति में काम करने वाले कर्मी) घोषित करने की संभावना भी जताई गई है।

वन विभाग की वेबसाइट पर सर्पमित्रों की जानकारी
सभी सर्पमित्रों की अधिकृत जानकारी उपलब्ध कराने के लिए एक विशेष पोर्टल तैयार किया जाएगा। यह जानकारी वन विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे किसी भी आपात स्थिति में लोगों को तुरंत सर्पमित्र से संपर्क करना आसान होगा और उनके काम में पारदर्शिता आएगी।
इस निर्णय से सर्पमित्रों को प्रोत्साहन मिलेगा और वन्यजीव संरक्षण में उनका योगदान और अधिक बढ़ेगा, ऐसी आशा वन विभाग के अपर मुख्य सचिव मिलिंद म्हैसकर ने व्यक्त की।

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